केजरीवाल का हर कदम राजनीति से प्रेरित होता है और यह भी ऐसा ही है। केजरीवाल को सत्य असत्य, सही गलत से कुछ लेना देना नहीं होता। इस मनुष्य की नजर एक ही बात पर होती है कि क्या कहने और करने से उसे अधिकतम राजनैतिक लाभ होगा। तथापि उद्योगों, लघु फैक्ट्रियों, दुकानों, ऑफिस आदि को खोलने का निर्णय समयोचित है। 19 मार्च को जब माननीय प्रधानमंत्री जी ने जनता कर्फ्यू की अपील की थी तो उन्होंने कहा था कि जान है तो जहान है। लेकिन लॉक डाउन के तृतीय चरण के समय प्रधानमंत्री जी का मंतव्य उनके नए मन्त्र से स्पष्ट हो गया। और नया मंत्र है – जान भी जहान भी। लॉक डाउन बहुत जरूरी था। लॉक डाउन से कोरोना वायरस के प्रसार को नियंत्रित किया जा सका। यदि लॉक डाउन न होता तो कोरोना संक्रमितों की संख्या लाखों में होती। लेकिन लॉक डाउन से आर्थिक गतिविधि रुक जाने से भारी नुक्सान होता है और बेरोजगारी भुखमरी जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। इसलिए अर्थव्यवस्था की गाड़ी को फिर से गतिमान करना अपरिहार्य है। अन्यथा तो कोरोना से अधिक भुखमरी से लोग मर जाएंगे और देश कई साल पीछे चला जाएगा। कोरोना को पूरी तरह से समाप्त करना या पूरी जनता को संक्रमित होने से रोकना असंभव है। जब तक कोरोना से बचने की वैक्सीन नहीं बनती, हमें कोरोना से बचना भी होगा और काम भी करना होगा। लॉक डाउन से लोगों में कोरोना वायरस के प्रति जागरूकता उत्पन्न हो गई है। अब लोग आदतन शारीरिक दूरी बनाने लग गए हैं; मास्क या कपड़े से मुंह ढक रहे हैं; सैनिटाइज़र या साबुन से हाथों को संक्रमण से बचाने लग गए हैं। अब वह समय आ गया है कि एक ओर जहाँ कन्टेनमेंट ज़ोन की तकनीक से कोरोना के प्रसार को रोकने के प्रयास पूरे जोर से किये जाते रहें, दूसरी ओर काम धंधे भी पूरे मनोयोग और मेहनत से किये जाएँ ताकि देश आर्थिक दौड़ में पिछड़ न जाए। जहाँ तक सुझावों की बात है, सुझावों को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है – एक संक्रमण से सुरक्षा सम्बन्धी और दूसरे अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने सम्बन्धी संक्रमण से सुरक्षा सम्बन्धी सुझाव दुकानदारों और कर्मचारियों को पास देते हुए खरीदारी के लिए लोगों को सप्ताह में केवल एक दिन अनुमति दी जाये। इस के लिए आधार कार्ड संख्या के अंतिम अंक/अंकों का उपयोग किया जा सकता है। दुकानदारों को अधिक से अधिक फ़ोन पर या ऑनलाइन आर्डर लेते हुए कूरियर सेवा का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाए। इन दोनों कदमों से बाज़ारों में भीड़भाड़ कम होगी और शारीरिक दूरी रखने में सुविधा होगी। दूसरे कदम से रोज़गार भी बढ़ेगा। शारीरिक दूरी बनाने के लिए सरकार प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों की सेवाएं ले जो कि शारीरिक दूरी रखते हुए लोगों को लाइन आदि लगवा कर व्यवस्था बनाये। पुलिस के पास पहले ही बहुत काम हैं।

Ph.D, M.Phil (NIMHANS)
Clinical and child Psychologist, Relationship Expert ,
Corporate trainer
लेकिन यह करना बहुत जरूरी है नहीं तो विभिन्न स्थानों पर सब्जी मंडियों में संक्रमण की जैसी स्थिति हुई थी वैसी ही हो जायेगी। अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने सम्बन्धी सुझाव सरकार ने श्रम कानूनों में बदलाव किये हैं जिससे उद्योग गति से चलें और रुकावटें पैदा न हों। यह बहुत जरूरी और स्वागत योग्य है। इससे देशी विदेशी कंपनियों को निवेश करने में प्रोत्साहन मिलेगा। विश्व भर की कंपनियां अपने उद्योग चीन से हटा कर अन्य देशों में ले जाने के लिए उत्सुक हैं। श्रम कानूनों में बदलाव से उन्हें चीन जैसा वातावरण मिलेगा। सरकार अपने स्तर पर उद्योगों को भारत में लाने के लिए सभी उपाय करेगी। देश के उद्यमियों को भी इस दिशा में प्रयास करने होंगें। जो वस्तुएं चीन से भारत या अन्य देशों को निर्यात की जाती हैं, उनकी उत्पादन क्षमता भारत में विकसित करनी होंगीं सभी अर्थशास्त्री एकमत हैं कि सरकार को इंफ्रास्ट्रक्टर पर भारी खर्च करना चाहिए और अनेकानेक तरीकों से व्यापारियों व अन्य लोगों के हाथों में पर्याप्त मात्रा में धन पंहुचाना चाहिए। इससे रोज़गार भी बढ़ेगा और जीडीपी भी। जैसे गुजरात के मुख्यमंत्री होते हुए मोदी जी ने दुनिया भर के उद्योगपतियों को आमंत्रित कर उन्हें निवेश करने के लिए प्रेरित किया था और सभी सुविधायें देकर उन्हें उद्योग लगाने के लिए प्रेरित किया था, वैसा सभी राज्यों के मुख्य मंत्रियों को करना चाहिए।